Tuesday, December 9, 2014

आगाज़

हर डर को पीछे छोड़ कर परवाज़ करेंगे
हम फिर से नये सफ़र का आगाज़ करेंगे


तुम तल्ख़ लहज़ा कायम रखना जहाँ वालों,
हम खुशदिली को अपना अंदाज़ करेंगे


ज़ाहिर न हो पाये कभी हाल-ए-दिल किसी पर,
हम फूल, हवा, खुशबू को हमराज़ करेंगे


हस्सास बहुत हैं मेरे ख्वाबों के गुलों-रंग,
बस जरा सा छू लो, ये आवाज़ करेंगे


भाती है फकीरों की सादा-दिली हम को,
क्या मुतमईन हमें ये तख़्त-ओ-ताज करेंगे


किस किस को सौंपनी है ख़्वाबों की विरासत,
ये फैसला भी शायद हम आज करेंगे


लाजिम है हसरतों का हर क़र्ज़ चुका दें हम,
तामीर उन की कब्र पर इक 'ताज' करेंगे


जिस हाल में रखोगी हम तुझ से निभा लेंगे
ऐ ज़िन्दगी तुझे ना कभी नाराज़ करेंगे


हर हाल में की है तूने मुहब्बत की वकालत,
ये दोस्त तुझ पे 'ज़ारा' सदा नाज़ करेंगे..


--------- ज़ारा.
08/12/2014.

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