Tuesday, February 11, 2014

जुगनी

ये इरशाद कामिल भी बड़ा बेहतरीन लिख रहे है आजकल... देखिये तो सही क्या लिखते है जनाब...
"जुगनी रुख पीपल दा होई
जिस नूं पूजता हर कोई
जिस दी फ़सल किसे ना बोई
घर वी रख सके ना कोई

रास्ता नाप रही मरजानी
पट्ठी बारिश दा है पानी
जब नज़दीक जहान दे आनी
जुगनी मैली सी हो जानी.."
कितनी गहरी बात. भारत में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है लेकिन उसका पौधा मर्जी से नहीं लगाया जाता. अगर वो गलती से खुद ब खुद आंगन में उग भी आये तो उसे सावधानी से हटाकर दूसरी जगह पहुंचा दिया जाता है. जैसे मंदिर वगैरह. स्त्री के हालात भी कुछ जुदा तो है नहीं. तमाम जुगनियां ऐसी ही किस्मत लिखवा के आती है.
इसलिए सभी जुगनीयों को एक बिन मांगी सलाह... ए आर रहमान स्टाइल में..
"ऐंवे लोक लाज की, सोच सोच के क्यूँ है आफत डाली
तू ले नाम रब का, नाम साईं का, अली अली अली..""
सलाम रहमान.. सलाम इरशाद... सलाम नूरन सिस्टर्स ( ज्योति और सुलतान नूरन )

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