Monday, August 4, 2014

कन्फ्यूज़ कर दित्ता..

एक शायर ने कहा,
"इक दूजे के बिन न रहेंगे,
साथ जियेंगे, साथ मरेंगे.."

एक कथाकार ने अपनी कहानी में लिख दिया,
"मैं तुम से पहले इज दुनिया से विदा हो जाना चाहता हूँ, ताकि तुम्हारे बगैर एक पल भी मुझे इस दुनिया में ना रहना पड़े."

एक अफसाना-निगार अपने अफ़साने में बोले,
"मेरी शदीद ख्वाहिश है कि मेरी मौत तुम्हारे बाद हो. ताकि मैं इस इत्मीनान से मर सकूँ कि अब तुम्हें मेरी ज़रूरत नहीं रही. तुम दुनिया में मेरे बिना अकेली हो ये सोच सोच कर मेरी रूह कब्र में भी बेचैन रहेगी."

मॉरल ऑफ़ दी इश्टोरी इज,
ये शायर, कथाकार, रूमानी अफसाना निगार इनकी बातों में नहीं आने का.. ये भयंकर रूप से कन्फयूजिंग बातें करते हैं. इस पल में जीने का भाई लोग. मरने-मराने की बातों पर किस का बस चला है. लेकिन जीना अपने हाथ में है. शायरी, कहानी, अफसाना पढने का लेकिन करने का अपने मन की. खुल के जीने का और अपने साथी की ज़िन्दगी बेहतर बनाने की कोशिश करने का. फ़ालतू की नारेबाजी नेता लोगों के लिए छोड़ दो..

( ज्ञान के इस डोज के साथ मैं ज़ारा खान आपसे विदा लेती हूँ. गुड नाईट. कल मिलेंगे. वैसे किसी को बताना मत मैं आज रात महकता आँचल पढ़ रही हूँ. )

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