Tuesday, January 28, 2014

सांप

सांप लपेटे घूम रहा हूँ
दुनिया मुझ से खौफज़दा है
सब मुझ को अच्छे लगते है
लेकिन यूं है,
जिस लड़की को चाहा मैंने
जिस लड़के को दोस्त बनाया
जिस घर में माँ बाप बनाए
जिस मस्जिद में घुटने टेके
सबने मेरा सांप ही देखा

मुझ को कोई देख ना पाया

मैं सब को कैसे समझाऊं
ये दुनिया का सांप नहीं है
मेरे साथ पला पोसा है
ये मेरा माँ जाया
बस मुझ को डसता है...!!

-------- फरहत एहसास.

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