Tuesday, April 30, 2013

अब न रहे वे पीनेवाले, अब न रही वह मधुशाला

जनरेशन गैप पर इससे बढ़िया पंक्तियां नहीं पढ़ी आज तक.....

अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला,
अपने युग में सबको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला,
फिर भी वृद्धों से जब पूछा एक यही उत्तर पाया
अब न रहे वे पीनेवाले, अब न रही वह मधुशाला...!!!

----------- श्री. हरिवंश राय बच्चन.

Monday, April 29, 2013

Indian Newspaper Headlines in 2050

Indian Newspaper Headlines in 2050:
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Golmaal Part 27 is released. Tusshar Kapoor is still unable to speak or act!
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Sharad Pawar owns half d world.
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Facebook is declared a country.
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A Raja's son is arrested for 16G scam.
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A girl in Delhi travels 50 feet safely.
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"Lakshadweep Lions''to be the 63rd team to join IPL.
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Munna Hazare (nephew of anna) sits on fast for Lokpal bill.
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Modi celebrate 90th birthaday and still waiting for PM Chair.

प्यार के दीप जलाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं

प्यार के दीप जलाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..
अपनी जान से जाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..

जुदाई के गहरे ज़ख्म मिले तो मुझको ये एहसास हुआ,
पागल को समझाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..

जान से प्यारे लोगों से भी कुछ कुछ पर्दा लाजिम हैं,
सारी बात बताने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..

अपने उजड़े गुलशन से प्यार कहां वो करते हैं,
औरों को महकाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..

उसके इश्क में डूब के हमने ये जाना आखिर
दिल की बात में आने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं..

-------- अज्ञात.

Friday, April 26, 2013

उसे कुछ और सुनना था, मुझे कुछ और कहना था

वो सुनता तो मैं कुछ कहती, मुझे कुछ और कहना था...
वो पल को जो रुक जाता, मुझे कुछ और कहना था...

कहाँ उसने सुनी मेरी, सुनी भी अनसुनी कर दी
उसे मालूम था इतना, मुझे कुछ और कहना था....

रवां था प्यार नस-नस में, बहुत क़ुर्बत थी आपस में
उसे कुछ और सुनना था, मुझे कुछ और कहना था...

ग़लतफ़हमी ने बातों को बढ़ा डाला यूं ही वरना
कहा कुछ था, वो कुछ समझा, मुझे कुछ और कहना था....

----------- अज्ञात...

Wednesday, April 24, 2013

श्रद्धांजलि शमशाद बेगम

यूं तो आपने कई बेहतरीन गाने गाये थे शमशाद बेगम जी, पर मेरे लिए जो सबसे करीब रहा वो हैं 'तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे'...... बरसों आपके गीत मेरे सच्चे साथी रहे हैं... और रहेंगे... शुक्रिया.... खुदा आपकी रूह को सुकून अता करे.... आमीन...!!!!

Friday, April 19, 2013

सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठ

आज कल भाजपा में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह से उठापठक चल रही हैं, उससे एक पुरानी कहावत याद आ गई....

"सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठ..!!!"

Wednesday, April 17, 2013

हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं

अरमां तमाम उम्र के सीने में हैं दफ़न
हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं.....

----------- अज्ञात

Monday, April 15, 2013

Disappointment

Disappointment is a sort of bankruptcy - the bankruptcy of a soul that expends too much in hope and expectation.

Friday, April 12, 2013

कुछ और मांग मेरा हाथ मांगने वाले

मेरा कलम मेरे ज़ज्बात मांगने वाले...
कुछ और मांग मेरा हाथ मांगने वाले...

तमाम गाँव तेरे भोलेपन पे हसता है,
धुएं के अब्र से बरसात मांगने वाले...

ये लोग कैसे अचानक अमीर बन बैठे,
ये सब थे भीक मेरे साथ मांगने वाले...

कलेजा चाहिए जीने को ऐसे जंगल में,
कुछ और मांग मेरी रात मांगने वाले...

कभी बसंत में प्यासी जड़ों की चीख भी सुन,
लुटे शज़र से हरे पात मांगने वाले...

-------------- अज्ञात.

Tuesday, April 9, 2013

मेरी आँख में जो सिमट गया वही अश्क सबसे हसीन था

उसे बारिशों ने चुरा लिया के वो बादलों का मकीन था
कभी मुडके ये भी तो देखता के मेरा वजूद ज़मीन था

बस यही एक सच था और उसके बाद सारी तोहमतें झूठ हैं,
मेरे दिल को पूरा यकीन है वो मुहब्बतों का अमीन था

उसे शौक था के किसी ज़जीरे पे उसके नाम का फूल खिले,
मुझे प्यार करना सीखा गया मेरा दोस्त कितना ज़हीन था

कभी साहिलों पे फिरेगा तो उसे सींपीया ही बतायेंगी,
मेरी आँख में जो सिमट गया वही अश्क सबसे हसीन था....

------------- अज्ञात.

Monday, April 8, 2013

मुझे ढूंढने की हद तक कोई ढूंढता नहीं है

ये गलत कहा किसी ने के मेरा पता नहीं है
मुझे ढूंढने की हद तक कोई ढूंढता नहीं है....

----------- अज्ञात.

Saturday, April 6, 2013

इक बार मना लेते तो हर रोज़ खफा होता

इस बार वो रूठा तो चुप बैठे रहे हम भी
इक बार मना लेते तो हर रोज़ खफा होता....

-------- अज्ञात.

Monday, April 1, 2013

मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी ख्वाहिशों का हिसाब दे

कही बेकिनार से रतजगे, कही ज़रनिगार से ख्वाब दे
तेरा क्या उसूल है ज़िन्दगी, मुझे कौन इसका जवाब दे

जो बिछा सकूँ तेरे वास्ते, जो सजा सकूँ तेरे रास्ते
मेरी दस्तरस में सितारे रख, मेरी मुट्ठियों में गुलाब दे

ये जो ख्वाहिशों का परिन्द है, इसे मौसमों से गर्ज नहीं
ये उड़ेगा अपनी ही मौज में, इसे आब दे की सराब दे

कभी यूं भी हो तेरे रूबरू, मैं नज़र मिला के ये कह सकूँ
मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी ख्वाहिशों का हिसाब दे

--------- अज्ञात.